
जन्माष्टमी व्रत पूजा, जिसे दही हांडी महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं। जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी या गोकुलाष्टमी भी कहते हैं। जन्माष्टमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। जन्माष्टमी का अर्थ है जिनका जन्म अष्टमी को हुआ हो अर्थात भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। साथ ही श्री कृष्ण देवकी की आठवीं संतान भी थे। इसलिए 8 नंबर श्री कृष्ण से विशेष संबंध रखता है।
जन्माष्टमी को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग व्रत रखकर भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। श्री कृष्ण की कई लीलाएँ प्रसिद्ध है। आज हम श्री कृष्ण के जन्म, इतिहास, कथा, कंस वध, जन्माष्टमी, महत्व और मुहूर्त, कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Birth, History, Story of Shri Krishna, Kansa Vadh, Janmashtami, Significance and Muhurta, Essay on Krishna Janmashtami, 15 lines on lord krishna) आदि के बारे में जानकारी देंगे।
2022 की जन्माष्टमी 18 अगस्त (गुरुवार) और 19 अगस्त (शुक्रवार) को है।
Table of Contents
श्री कृष्ण का जीवन परिचय (Biography of Shri Krishna)
जन्म | भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी |
माता-पिता | देवकी (माँ) और वासुदेव (पिता) |
पालक माता-पिता | यशोदा (मां) और नंदा बाबा (पिता) |
भाई-बहन | बलराम, सुभद्रा |
अवतार | विष्णु जी |
निवास स्थान | द्वारका, गोकुल, वृंदावन |
अस्त्र | सुदर्शन चक्र |
त्यौहार | कृष्ण जन्माष्टमी, होली |
श्री कृष्ण के जन्म की कहानी (Story of birth of Shri Krishna)
श्री कृष्ण के जन्म की कहानी द्वापर युग की है। मथुरा के राजा का नाम उग्रसेन था। वे बहुत प्रतापी और दयालु राजा थे। उनके बेटे का नाम कंस था। कंस बहुत क्रूर और अत्याचारी था। राजा उग्रसेन ने कंस को बदलने की बहुत कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। कंस अपने पिता का विरोध करके मथुरा की राजगद्दी पर बैठ जाता है। कंस बहुत शक्तिशाली था। राजा बनने के बाद कंस का अत्याचार बढ़ता ही जा रहा था।
देवकी कौन थी और देवकी का विवाह किससे हुआ था?
कंस की एक बहन थी, जिसका नाम देवकी था। देवकी का विवाह यदुवंशी सरदार वासुदेव से हुआ था। एक बार कंस रथ पर अपनी बहन देवकी और वासुदेव को बैठाकर देवकी के ससुराल लेकर जा रहा था। तभी रास्ते में अचानक से एक आकाशवाणी होती है। आकाशवाणी के अनुसार देवकी का आठवां पुत्र कंस का अंत करेगा। यह आकाशवाणी सुनकर कंस क्रोधित हो जाता है और वासुदेव को मारने का प्रयास करता है। वासुदेव के प्राण बचाने के लिए देवकी कंस से कहती है कि “मेरी जो भी संतान होगी उसे मैं आपको सौंप दूँगी” इसके बाद कंस वासुदेव के प्राण नहीं लेता है। कंस वासुदेव और देवकी को कारागार में बंद करवा देता है।
कारागार में देवकी की जब भी संतान होती कंस उसे मार देता है। देवकी और वासुदेव की यह दुखदायक कहानी का पता नंद और यशोदा को चला। जिस समय देवकी का आठवां पुत्र का जन्म हुआ। उसी समय यशोदा को एक कन्या हुई थी। श्री कृष्ण का जन्म का समय मध्य रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में माना जाता है।
भगवान विष्णु ने वासुदेव को पुत्र को नंद के घर ले जाने की सलाह दी
जब देवकी ने अपने आठवें पुत्र को जन्म दिया तब स्वयं भगवान विष्णु प्रकट हुए और कहा कि मेरा जन्म इस धरती पर कंस का वध करने के लिए हुआ है। इस जन्म को सफल बनाने का रास्ता भी भगवान विष्णु ने वासुदेव को बताया। उन्होंने कहा कि इस आठवें पुत्र को नंद के घर ले जाओ और वहां से उनकी जन्मी कन्या को यहां ले आओ और कंस को सौंप दो। विष्णु के आशीर्वाद से सभी दरवाजे खुद-ब-खुद खुल गए और सभी पहरेदार गहरी निद्रा में चले गए। इस तरह वासुदेव का रास्ता बनता गया और यमुना पार करके अपने पुत्र को नंद के पास छोड़ दिया और नंद की कन्या को मथुरा ले आया।
कंस को जब पता चला कि देवकी की आठवीं संतान का जन्म हो गया है, तो वह तुरंत कारागृह में आया और अपने हाथों से उस कन्या को छीन लिया। कन्या को वह जमीन पर पटककर मरने ही वाला था। वैसे ही कन्या ने उसे चेतावनी के रूप में कहीं कि “उसका अंत करने वाले का जन्म हो गया है। वह वृंदावन में है जल्द ही उसे उसके पापों की सजा मिलेगी।” यह कहकर कन्या विलुप्त हो जाती है। इस तरह श्री कृष्ण का लालन-पालन गोकुल में यशोदा और नंद के घर होता है।
कृष्ण के सिर पर क्यों रखते हैं मोर पंख?
Why are peacock feathers kept on Krishna’s head? भगवान कृष्ण के सिर पर मोर पंख जिम्मेदारियों का प्रतीक है, जिस तरह एक राजा अपनी प्रजा के लिए जिम्मेदार होता है, उसी तरह कृष्ण पूरे विश्व के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए वह एक मुकुट पहनता है।
लेकिन श्रीकृष्ण अपनी जिम्मेदारियों को बड़ी सहजता से एक मोर पंख की तरह जो बहुत हल्का होता है, संभालते हैं। वे अपनी जिम्मेदारियों को बोझ नहीं समझते इसलिए वह विविध रंगों से भरी जिम्मेदारियों को मोर पंख के रूप में धारण करते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व (Significance of Krishna Janmashtami)
श्री कृष्ण भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इस दिन सभी उपवास रखते हैं। मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। मध्य रात्रि के समय भगवान का जन्मोत्सव के रूप में सभी मंदिरों में एकत्रित होकर विशेष पूजा करते हैं। हर वर्ष भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर सभी लोग दूर-दूर से मथुरा और वृंदावन आते हैं। पूजा और व्रत करने के साथ इस दिन घरों और मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है।
इन झांकियों में श्री कृष्ण के जन्म और बाल लीलाओं का चित्रण किया जाता है। क्योंकि श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था। इसलिए इस दिन कई पुलिस चौकियों में भी श्री कृष्ण की सुंदर झांकियां सजाई जाती है। लोग घरों में भी कृष्ण जी का झूला बनाकर बाल गोपाल को झूला झूलाते हैं। श्री कृष्ण राधा से बेहद प्रेम करते थे। श्रीमद भगवत गीता के अनुसार कृष्ण से पहले राधा जी का नाम लेना चाहिए। क्योंकि जो राधा का नाम लेता है, श्रीकृष्ण उसी की पुकार सुनते हैं। अतः अगर कृष्ण को पुकारना हो तो पहले राधा को बुलाओ यानि “राधे – कृष्ण“।
भगवान श्री कृष्ण की लीलाएँ (Leelas of Lord Shri Krishna)
श्रीकृष्ण कई नामों से प्रसिद्ध है। जैसे बाल गोपाल, देवकीनंदन, गोविंदा, कन्हैया, कान्हा, मुरलीधर, मुरली मनोहर, द्वारकाधीश, माधव, नंदलाल, ठाकुर जी, लड्डू गोपाल आदि। उनमें से माखन चोर भी उन्हें कहा जाता है। दही के मंथन से माखन बनता है। श्री कृष्ण की बाल लीला में कृष्ण गोकुल में गोपियों के घर अपने सखाओं के साथ मिलकर माखन चुराकर खाते थे। इसलिए इस तरह उनका नाम माखन चोर पड़ गया।
जन्माष्टमी में दही हांडी महोत्सव और प्रतियोगिता (Dahi Handi Festival and Competition in Janmashtami)
जन्माष्टमी के दिन कई जगह दही हांडी या मटका फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। कृष्ण भगवान को दही माखन बहुत प्रिय था। इसलिए उनके इस रूप को याद करते हुए दही हांडी फोड़ी जाती है। दही से भरा हुआ मटका रस्सी से आसमान की कुछ ऊंचाई पर लटका दी जाती है। गोविंदाओं का झुंड टीम बनाकर मटकी फोड़ने का प्रयास करते हैं। विजेता टीम को उचित इनाम भी प्रदान किया जाता है।
विदेशों में जन्माष्टमी का धूम (Janmashtami celebration abroad)
जन्माष्टमी का उत्सव भारत के अलावा कई देशों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। जैसे – नेपाल, बांग्लादेश, फीजी, रियूनियन, यू एस ए आदि। बांग्लादेश में जन्माष्टमी के अवसर पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इस दिन वहां जुलूस निकाली जाती है। फिजी में जन्माष्टमी को कृष्णा अष्टमी के रूप में जाना जाता है। यहां उत्सव 8 दिन यानी अष्टमी तक मनाया जाता है। इन 8 दिनों तक भक्त इकट्ठा होकर भगवत पुराण का पाठ करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
5 lines on Janmashtami (जन्माष्टमी पर 5 लाइन का निबंध)
- जन्माष्टमी हिंदुओं का पवित्र त्योहार है।
- कृष्ण भगवान के जन्मदिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।
- भगवान कृष्ण विष्णु जी के अवतार माने जाते हैं।
- श्री कृष्ण के माता पिता देवकी और वासुदेव थे।
- श्री कृष्ण को माखन चोर, कान्हा, कन्हैया आदि कई नामों से भी जाना जाता है।
15 line essay on Janmashtami (जन्माष्टमी पर 15 लाइन का निबंध)
- जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म के रूप में मनाया जाता है।
- भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था।
- श्री कृष्ण को माखनचोर, मुरलीधर, कन्हैया, कान्हा आदि कई नामों से भी जाना जाता है।
- श्री कृष्ण जी का लालन-पालन माता यशोदा और पिता नंद के घर गोकुल में हुआ था।
- श्री कृष्ण जी का जन्म मथुरा में हुआ था।
- श्री कृष्ण की माता का नाम देवकी और पिता का नाम वासुदेव था।
- जन्माष्टमी हिंदुओं का पवित्र त्योहार है।
- इस दिन को सभी धूमधाम से मनाते हैं।
- श्री कृष्ण के प्रिय मित्र का नाम सुदामा था।
- श्री कृष्ण को माखन बहुत पसंद था।
- जन्माष्टमी के दिन कई जगहों पर दही हांडी की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
- भगवान श्री कृष्ण को विष्णु जी का अवतार माना जाता है।
- इस दिन सभी व्रत रखकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं।
- इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है।
- मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप को झूला भी झुलाया जाता है।
FAQ
बुधवार
यादव
गाय
ऐसा माना जाता है कि 16000 से अधिक शादियां हुई थी।
श्री कृष्ण
श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था।
श्री कृष्ण को वासुदेव, कन्हैया, श्याम, नंदकिशोर, बालगोपाल, केशव आदि नामों से जाना जाता है।
ये भी पढें
- श्री राम के जन्म की क्या कथा है?
- वीर पुरुष पृथ्वीराज की कहानी
- जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास
- एमएस धोनी का क्रिकेट करियर
- हिंदी में अमिताभ बच्चन की जीवनी