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आज हम द्रौपदी मुर्मू जो भारत की 15वीं राष्ट्रपति के बारे में जानेंगे, द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी समुदाय से संबंधित है। उड़ीसा राज्य में जन्मी द्रौपदी मुर्मू हाल ही में भारत के 15वीं राष्ट्रपति (15th President) पद के लिए चुनी गई हैं। इसलिए यह आजकल काफी चर्चा का विषय बन गई है। हम द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय, परिवार, शिक्षा, राजनीतिक जीवन, संघर्ष आदि सभी के बारे में जानेंगे।
Table of Contents
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय और प्रारंभिक जीवन (Biography and and Early life of Draupadi)
पूरा नाम | द्रौपदी मुर्मू |
पिता का नाम | बिरांची नारायण टुडू |
व्यवसाय | राजनीति (बीजेपी) |
पति का नाम | श्याम चरण मुर्मू |
जन्म तिथि | 20 जून 1958 |
जन्म स्थान | मयूरभंज, उड़ीसा |
आयु (2022 में) | 64 वर्ष |
जाति | अनुसूचित जनजाति |
धर्म | हिंदू |
संतान | एक बेटी (इतिश्री मुर्मू) |
हाइट | 5 फीट 4 इंच |
शिक्षा | कला स्नातक |
कॉलेज | रमा देवी महिला कॉलेज भुवनेश्वर, ओड़िशा |
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 में उड़ीसा के मयूरभंज जिले के बेदापोसी नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। जो गांव के मुखिया थे। द्रौपदी मुर्मू के पति का नाम श्याम चरण मुर्मू है। उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। लेकिन दुर्भाग्यवश उनके दोनों बेटे इस दुनिया में नहीं रहे। द्रौपदी मुर्मू की बेटी का नाम इतिश्री मुर्मू है। इतिश्री मुर्मू का विवाह गणेश हेंब्रम के साथ हुआ है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा (Educational Life of Draupadi Murmu)
द्रौपदी मुर्मू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के नजदीकी स्कूल से हासिल की। आगे ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने भुवनेश्वर रामा देवी महिला कॉलेज में दाखिला लिया। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1979 में उन्होंने उड़ीसा गवर्नमेंट के बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के पद पर काम किया। इस पद पर उन्होंने 1983 तक काम किया। 1994 में रायरंगपुर में अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बतौर मानव सहायक प्रोफ़ेसर के रूप में काम किया। इसके बाद उन्होंने अनुसंधान रायरंगपुर और ओडिसा के सिंचाई विभाग में भी काम किया।
पढ़ें कैसे संघर्षों से भरा द्रौपदी मुर्मू का जीवन?
साल 2009 द्रौपदी मुर्मू के जीवन का काफी दुखदायक साल रहा है, लेकिन सब कुछ भुला कर उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया। उनके एक बेटे की मौत 2009 में हुई थी। इसका उनपर बहुत बड़ा सदमा लगा था। लेकिन फिर से उन्हें एक और मुसीबत का सामना करना पड़ा। 2013 में उनके दूसरे बेटे की मौत हो गई। इसके बाद से लगातार दुखों का पहाड़ टूटता रहा। दूसरे बेटे की मौत के बाद उनके भाई और फिर माँ की भी मौत हो गई। इसके बाद 2014 में उन्होंने अपने पति को भी खो दिया। लेकिन फिर भी वह आगे बढ़ती रही और अपने जीवन को सफल बनाने का काम करती रही।
किस प्रकार हुई द्रौपदी मुर्मू की शादी ?
द्रौपदी मुर्मू और श्याम चरण मुर्मू एक दूसरे को पसंद करते थे। दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। श्याम चरण विवाह का प्रस्ताव लेकर अपने परिवार के साथ द्रौपदी मुर्मू के घर पहुँच गए। लेकिन द्रौपदी मुर्मू के पिता बिरंची नारायण टुडू ने विवाह के लिए साफ इंकार कर दिया। फिर भी श्याम चरण जी ने हार नहीं मानी उन्होंने ठान लिया कि अगर शादी करेंगे तो सिर्फ द्रौपदी मुर्मू से ही करेंगे। इधर द्रौपदी मुर्मू ने भी अपने घर में साफ साफ कह दिया था कि वह श्याम चरण भी से ही शादी करेंगी। अंत में द्रौपदी मुर्मू के पिता उनकी शादी के लिए मान गए और इस तरह दोनों की शादी हो गई।
द्रौपदी मुर्मू संथाल समुदाय से हैं जिसमें लड़की वाले नहीं बल्कि लड़के वाले लड़की से शादी करने के लिए दहेज देते हैं। उस समय श्याम चरण जी ने द्रौपदी मुर्मू से शादी करने के लिए बिरंची नारायण को एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए थे।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन (Political life of Draupadi Murmu)
द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समाज की पढ़ी-लिखी महिला थी। इस नाते उन पर अपने समाज के प्रति कई जिम्मेदारियां थी। उन्होंने अपने जीवन में समाज सेवा और जरूरतमंदों की मदद की है। द्रौपदी मुर्मू ने राजनीतिक जीवन में अपना कदम 1997 में रखा। 1997 में उन्होंने स्थानीय पार्षद का चुनाव जीता। इसी वर्ष भाजपा के एसटी मोर्चा के उपाध्यक्ष भी चुनी गई। उन्होंने 1997 में भारतीय जनता पार्टी के साथ राजनीति में कदम रखा। 2000 से 2002 तक और परिवहन मंत्री रहीं। 2002 से 2004 तक मछली पालन और विकास राज्य मंत्री थीं। फिर 2006 से 2009 तक बीजेपी की ST मोर्चा की अध्यक्ष बनी। 2013 से 2015 तक ST मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य चुनी गई।
झारखंड की राज्यपाल बनीं द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu became the Governor of Jharkhand)
2015 से 2021 तक द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल थी। झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने के अलावे में झारखंड की पहली ऐसी राज्यपाल रही जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया हो। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की वें 9वीं राज्यपाल बनी थी।
21 जुलाई 2022 को द्रौपदी मुर्मू को भारत के 15वीं राष्ट्रपति के रूप में चयनित किया गया। 25 जुलाई 2022 को उन्होंने राष्ट्रपति पद का शपथ ग्रहण किया। वर्तमान और 48 वें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस नुथलपति वेंकट रमण ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी। देश की पहली महिला राष्ट्रपति की प्रतिभा पाटिल है। स्वतंत्र भारत में जन्मी यह पहली राष्ट्रपति है और देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति भी है।
Draupadi Murmu Youngest President of India (भारत के सबसे युवा राष्ट्रपति)
भारत के सबसे युवा राष्ट्रपति कौन हैं? द्रौपदी मुर्मू की राष्ट्रपति बनने की उम्र 64 साल 1 महीना और 8 दिन है, वहीं नीलम संजीव रेड्डी के राष्ट्रपति बनने के समय की उम्र 64 साल 2 महीने और 6 दिन थी। इस तरह अब भारत की सबसे कम उम्र (Youngest) के राष्ट्रपति बनने का रिकार्ड द्रौपदी मुर्मू के नाम हो गया है।
द्रौपदी मुर्मू को मिले पुरस्कार और सम्मान (Draupadi Murmu received awards and honors)
2007 में द्रौपदी मुर्मू को नीलकंठ सम्मान से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार ओडिसा द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विधायक को दिया जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन – FAQs
Late Shyam Charan Murmu
20 June 1958
Yes, Shyam Charan Murmu was the husband of Draupadi Murmu.
Draupadi Murmu
Draupadi Murmu
Odisa
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