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Home » Festival » Ganesh Chaturthi Puja in Hindi | गणेश चतुर्थी का व्रत, महत्व, कथा

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Ganesh Chaturthi Puja in Hindi | गणेश चतुर्थी का व्रत, महत्व, कथा

Posted on June 26, 2022June 26, 2022 By GeekCer Education No Comments on Ganesh Chaturthi Puja in Hindi | गणेश चतुर्थी का व्रत, महत्व, कथा
Ganesh Chaturthi Puja in Hindi | गणेश चतुर्थी का व्रत, महत्व, कथा

Ganesh Chaturthi Puja भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। गणेश का शाब्दिक अर्थ है – जो समस्त प्राणी के ईश या स्वामी हो। जैसा की हम जानते हैं कि भारत त्योहारों का देश माना जाता है। गणेश चतुर्थी हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। गणेश जी की पत्नी का नाम रिद्धि-सिद्धि है। रिद्धि सिद्धि विश्वकर्मा जी की दो पुत्रियां हैं।

गणेश जी के पुत्र का नाम शुभ-लाभ और पुत्री का नाम संतोषी है। गणेश चतुर्थी को गणेशोत्सव भी कहते हैं। गणेश उत्सव 10 दिनों का त्योहार है जो कि तक बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वैसे तो यह त्योहार भारत के हर कोने में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन महाराष्ट्र में इसे विशेष रूप से मनाने की प्रथा है। इसके पीछे मुख्य और ऐतिहासिक कारण है। जिसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे इस article के माध्यम से हम आज आपको गणेश चतुर्थी और क्यों मनाया जाता है?, क्या है गणेश चतुर्थी का इतिहास?, गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चतुर्थी का महत्व (Ganesh Chaturthi and why is it celebrated?, What is the history of Ganesh Chaturthi?, Story of Ganesh Chaturthi, Significance of Ganesh Chaturthi) आदि के बारे में बताने जा रहे हैं। इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

Table of Contents

  • भगवान गणेश चतुर्थी कब है 2022?
  • गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा (Ganesh Chaturthi ki Pauranik Katha)
    • गणेश जी का सिर हाथी का कैसे हुआ?
  • भगवान गणेश का चमत्कार (Miracle of Lord Ganesh)
    • चौपड़ खेल में जीत का निर्णय
    • कैसे किया बालक ने गणेश जी को प्रसन्न?
  • शिव, पार्वती, कार्तिकेय और विश्वामित्र ने भी गणेश व्रत किया
  • गणेशोत्सव की शुरुआत कब और कैसे हुई? (When and how did Ganeshotsav begin)
  • गणेश चतुर्थी का महत्व (Significance of Ganesh Chaturthi)
  • गणेश चतुर्थी का व्रत कैसे करें? (How to worship Ganesh Chaturthi)
  • गणेश चतुर्थी का व्रत खोलते समय क्या खाएं? (What to eat while breaking Ganesh Chaturthi fast?)
  • FAQ

भगवान गणेश चतुर्थी कब है 2022?

2022 में गणेश चतुर्थी 31 अगस्त दिन बुधवार को है।

गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा (Ganesh Chaturthi ki Pauranik Katha)

भगवान गणेश जी का जन्म कैसे हुआ था? पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती के द्वारा गणेश का जन्म हुआ। गणेश जी शिव जी और माता पार्वती के सबसे छोटे पुत्र हैं। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक बालक को उत्पन्न किया। और उस बालक को द्वारपाल बना दिया। थोड़ी देर बाद वहां शिवजी आते हैं। शिवजी को बालक ने अंदर जाने से रोक देता है इस पर समस्त शिवगण बालक से नाराज जो जाता है औरबालक से युद्ध करने लगते हैं। इस युद्ध में बालक को कोई पराजित नहीं कर पाता।

गणेश जी का सिर हाथी का कैसे हुआ? क्रोध में आकर फिर शिवजी त्रिशूल से बालक का सिर काट देते हैं। उनका कटा सिर पाताल में जाकर गिर जाता है। यह देखकर माता पार्वती अत्यंत क्रोधित हो जाती है और प्रलय लाने की ठान लेती है। इस बात से देवता भी भयभीत हो जाते हैं। सभी देवता जगदंबा की स्तुति करके देवी को शांत करते हैं।

गणेश जी का सिर हाथी का कैसे हुआ?

शिव जी के निर्देश पर विष्णु जी उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले प्राणी का सिर काटकर ले आते हैं। वह सबसे पहला प्राणी हाथी था। मृत्युंजय रूद्र ने हाथी का सिर लगाकर बालक को पुनर्जीवित कर देते हैं। बालक को देखकर माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न होती है और हृदय से लगाकर समस्त देवताओं में अग्रणी (आगे) होने का आशीर्वाद भी देती है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को किसी भी मंगल कार्य, पूजन, अनुष्ठान में सबसे पहले पूजा जाने का वरदान देते हैं। इसलिए गणेश जी प्रथम पूज्य देवता और बुद्धि दाता माने जाते हैं। इस गज (हाथी) मुख के कारण उस बालक का नाम गजानन पड़ गया।

भगवान गणेश का चमत्कार (Miracle of Lord Ganesh)

एक बार नर्मदा नदी के तट पर माता पार्वती संग शिवजी आए। वहां का स्थान बहुत सुंदर था। माता पार्वती को वहां शिव जी के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा हुई। शिवजी चौपड़ खेलने को तैयार हो जाते हैं लेकिन माता पार्वती को कहते हैं कि “इस खेल में हमारे हार जीत का साक्षी कौन होगा?” तभी माता पार्वती वहां की घास के तिनके को बटोरकर एक पुतला बना देती है और उसमें प्राण डाल कर कहती है “हम यहां चौपड़ खेलना चाहते हैं, परंतु यहां हार जीत का साक्षी कोई नहीं है। इसलिए इस खेल के अंत में तुम हमारी हार जीत का साक्षी बन कर बताना कि हम में से कौन जीता और कौन हारा?”

चौपड़ खेल में जीत का निर्णय

खेल शुरू होता है और अंत में माता पार्वती जीत जाती है तब बालक से हार जीत का निर्णय करने को कहा जाता है। उस बालक ने शिवजी को विजयी घोषित कर देता है। इस बात से माता पार्वती क्रोधित हो जाती है और उस बालक को एक पाँव से लंगड़ा और वहीं कीचड़ में रहकर दुख और कष्ट भोगने का श्राप दे देती है। यह सुनकर वह बालक विनम्रतापूर्वक माता पार्वती से कहता है कि “मुझसे यह अज्ञानवश हो गया मैंने किसी कुटिलता या द्वेष में आकर ऐसा नहीं किया। इसलिए कृपया मुझे क्षमा कर दें।” उसकी प्रार्थना सुनकर माता पार्वती को उस पर दया आ जाती है इसलिए उस बालक को श्राप से मुक्त होने का उपाय बताती हैं।

कैसे किया बालक ने गणेश जी को प्रसन्न?

माता कहती है इस स्थान पर नाग कन्याएँ गणेश पूजन करने आएँगी। उनके उपदेश से तुम गणेश व्रत करके मुझे प्राप्त करोगे। समय बितता गया। एक साल बाद सावन के महीने में वह नाग कन्याएँ गणेश पूजन के लिए आई। कन्याओं ने उस बालक को गणेश पूजन की विधि बताई। उसका अनुसरण करके बालक ने 12 दिनों तक गणेश जी का व्रत रखा।

गणेश जी उस बालक से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए। गणेश जी ने बालक से मनोवांछित वर मांगने को कहते हैं। तब बालक ने कहा “भगवान मेरे पैरों में इतनी शक्ति दे दो कि मैं कैलाश पर्वत पर अपने माता-पिता (शिव पार्वती) के दर्शन कर सकूं और वो मुझ पर प्रसन्न हो जाएँ।” गणेश जी ने बालक की इच्छा पूरी की। इस तरह बालक शिव जी के चरणों में पहुंच गया। शिव जी ने बालक से यहां तक पहुंचने के बारे में पूछा तो उन्हें सारी कथा बताई।

शिव, पार्वती, कार्तिकेय और विश्वामित्र ने भी गणेश व्रत किया

एक बार माता पार्वती शिव जी से रूठ गई थी। तब शिवजी ने 21 दिन तक गणेश व्रत किया। इसके प्रभाव से माता पार्वती को स्वयं ही शिव जी से मिलने की इच्छा जागृत होने लगी। माता पार्वती शीघ्र अति शीघ्र शिवजी के पास आ पहुंची। माता पार्वती ने शिवजी से पूछा कि “प्रभु आपने ऐसा क्या किया जिससे मैं इतनी उतावली होकर आपके पास आ गई?” तब शिवजी ने माता को गणेश व्रत के बारे में बताया। माता पार्वती ने अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा से 21 दिन का गणेश व्रत किया। जिसके फलस्वरूप कार्तिकेय स्वयं ही माता पार्वती से मिले।

कार्तिकेय को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने भी इस व्रत का अनुसरण करके अपनी इच्छा पूरी की। कार्तिकेय ने इस गणेश व्रत के बारे में विश्वामित्र को बताया। विश्वामित्र ने गणेश व्रत करके इस जन्म से मुक्त होकर ब्रह्म ऋषि होने की इच्छा पूरी की।

गणेशोत्सव की शुरुआत कब और कैसे हुई? (When and how did Ganeshotsav begin)

गणेशोत्सव मनाने की शुरुआत 1894 में लोकमान्य तिलक द्वारा की गई थी। भारत की आजादी में गणेश उत्सव की महत्वपूर्ण भूमिका है। 1894 में अंग्रेजों ने भारत में धारा 144 लागू कर रखा था। जिसके तहत किसी स्थान पर 5 से अधिक लोग इकट्ठे नहीं हो सकते थे। अंग्रेजों ने वंदे मातरम गीत गाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। इस गीत को गाने वाले को जेल में डाला जा रहा था। वंदे मातरम गीत बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखी गई थी। इन प्रतिबंधों के कारण लोगों में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विरोध की भावना पैदा हो रही थी। 1894 से पहले सभी लोग अपने-अपने घरों में गणेश पूजा करते थे।

सामूहिक रूप से पहली बार पुणे स्थित शनिवाड़ा में गणपति उत्सव मनाया गया था। अंग्रेजी सरकार के अनुसार धार्मिक समारोह में एकत्रित लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकती थी। इस पूजन का मुख्य उद्देश्य लोगों में क्रांतिकारी भावना जागृत करना और अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह करने की तैयारी करना था।

गणेश चतुर्थी का महत्व (Significance of Ganesh Chaturthi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश जी का जन्म भद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। गणेश जी को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। मनवांछित इच्छा पाने के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत सभी श्रद्धा पूर्वक करते हैं। गणेश जी को मोदक अति प्रिय लगता है। इसलिए उन्हें भोग के रूप में मोदक चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी की रात्रि को चंद्रमा को देखने से व्यक्ति पर झूठा कलंक लग जाता है।

गणपति जी के मुख्य रूप से 12 नाम इस प्रकार है – सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन, विघ्नाशक। गणेश उत्सव 10 दिनों तक धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 11 वें दिन गणेश जी की मूर्ति (Ganesh ki Murti) का विसर्जन कर दिया जाता है। भक्त जन गणेश जी की विदाई में अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं।

गणेश चतुर्थी का व्रत कैसे करें? (How to worship Ganesh Chaturthi)

श्री गणेश चतुर्थी का व्रत करने की कई विधियाँ हैं लेकिन आपको मुख्य रूप से निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:

  • गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पवित्र हो जाएं। हो सके तो इस दिन नए लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  • घर के मंदिर की सफाई कर वहां दीपक जलाएं। अगर कोई मूर्ति है तो उसे आसन में स्थापित करें, अगर कोई मूर्ति नहीं है तो आप गणेश जी का फोटो लगाकर पूजा कर सकते हैं।
  • गणेश जी की मूर्ति का गंगा जल से अभिषेक और पुष्प अर्पित करें, तुलसी के पत्ते, दूर्वा घास भी चढ़ाएं, गणेश जी को सिंदूर या कुमकुम लगाएं।
  • गणेश जी को भोग के रूप में गणेश जी के पसंदीदा मोदक या लड्डू या फल चढ़ाएं ।
  • इसके बाद गणेश जी का ध्यान करें और उनकी आरती करें।
  • हो सके तो गणेश चतुर्थी का व्रत भी रखें।

गणेश चतुर्थी का व्रत खोलते समय क्या खाएं? (What to eat while breaking Ganesh Chaturthi fast?)

विभिन्न स्थानों पर उपवास के दौरान खाने के लिए अलग-अलग दिशानिर्देश हैं। लेकिन अधिकांश लोग फल, दूध, दही, सूखे मेवे, उबले आलू, गेहूं की रोटी आदि जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं।

FAQ

गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है?

भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी मनाई जाती है।

गणेश जी का असली मस्तक कहां गया?

पाताल लोक

गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है?

मनोवांछित कामनाओं की प्राप्ति और बुद्धि, समृद्धि के लिए श्रद्धा के साथ गणेश चतुर्थी मानते हैं।

गणेश जी को क्या पसंद है?

मोदक और लड्डू

गणेश जी का कौन सा वार है?

बुधवार

गणेश चतुर्थी के व्रत में क्या खाएं?

वैसे अलग-अलग जगहों पर व्रत के दौरान खाने के अपने-अपने नियम हैं। लेकिन ज्यादातर लोग फल, दूध, दही, सूखे मेवे, उबले आलू, आटे की रोटी आदि खाते हैं।

यह भी पढ़ें

  • जानिए कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी?
  • जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा की कहानी हिंदी में
  • श्री राम की जन्म कथा और वाल्मीकि रचित रामायण कहानी
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Festival Tags:बुधवार व्रत में क्या खाना चाहिए?, श्री गणेश चतुर्थी पूजा विधि और व्रत कथा, गणेश जी की पूजा विधि, Ganesh chaturthi fast 2022

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