
होली (Holi) एक वसंत ऋतु त्योहार है जिसे रंगों का त्योहार (Festival of colors) कहते है। यह हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है जिसे भारत और नेपाल में मुख्य रूप से मनाया जाता है। हिन्दुओं के अल्पसंख्यक वाले देश में भी होली बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। होली में चारों तरफ हरियाली छाई रहती है। पेड़-पौधों की डालियों पर नई-नई हरी पत्तियों खिले रहते है। खेतों में सरसों खिले रहते है। बाग – बगीचों में फूलों की मनमोहक आकर्षक दृश्य चारो तरह फैली रहती हैं। खेत गेहूं की बालियों से भरे रहते है।
यह त्योहार वसंत पंचमी यानि सरस्वती पूजा के दिन से शुरूआत हो जाती है। उस दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है और खुशियाँ मनाई जाती है। होली के शुभ अवसर पर, बच्चों में अधिक हर्ष-उल्लास देखने को मिलता है। बच्चे हो या बड़े सभी होली का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन लोग ढोलक बजाकर फगुवा गाते और घर -घर घूमकर तरह-तरह के पकवान खाते है। होली फाल्गुन मास मे मनाई जाती है इसलिए इसे फाल्गुनी भी कहते है।
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होली का त्योहार कैसे मनाई जाती है?
यह त्योहार दो दिन का होता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है. जिसे होलिका दहन कहते है।दूसरे दिन रंग – गुलाल खेलते हैं जिसे धुलेंडी या धुरखेल या धुरड्डी भी कहते है। इस दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते है और होली के गीत गाते है। इस दिन घरों में तरह- तरह के पकवान बनाए जाते हैं, खास कर गुझिया, मालपुआ, दही बड़े इत्यादि। इस दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलते हैं और एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।
इस के कुछ दिन पहले से ही दुकानें सजी रहती है चारों तरफ पिचकारी, रंग – गुलाल, कार्टूनी मास्क, टोपियाँ, खाने के विभिन्न सामुग्रीयाँ, मेवा, ठंडाई इत्यादि मिलते है। इसके साथ लोग होली के अवसर पर नये कपडे भी खरीदते है ज्यादातर सफेद रंग के कपड़े होली में पहनना ज्यादा पसंद करते हैं।
होली (Holi) के त्योहार की क्या विशेषता है?
होली (Holi) की पूजा होलिका दहन से शुरू होती है। होलिका दहन की शाम लोग अग्नि पूजन करते है। किसी खाली स्थान पर गोबर के उपले और लकड़ी से होली तैयार की जाती है। और इस होली (Holi) की परिक्रमा शुभ मानी जाती है। इस आग में गेहूँ, जौ और चने को भूना जाता हैं। इस अग्नि में पकौड़ी आदि खादय सामग्री अग्नि में अर्पित करते हैं।
दूसरे दिन घरों में खीर, पूरी, मालपुवा, दही बड़े आदि बनाए जाते और इस पकवान को पहले भगवान को भोग लगाया जाता है। एक-दूसरे के घर जाकर एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते है। सभी आपसी मतभेद भूलाकर एक दूसरे को गले लगाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाते है। इसके साथ जगह-जगह टोलियाँ रंग – बिरंगे कपड़े पहनकर नाचते है और फगुवा गीत गाते नजर आते है। पूरे मोहल्ले मे बच्चे “होली है” की गूंज से एक दूसरे पर पिचकारी से रंग डालते है।
आधुनिक काल में होली (Holi) कैसे मनाई जाती है?

आधुनिक काल में होली हंसी खुशी के साथ हर्ष उल्लास से मनाया जाता है। प्राचीन काल में लोग चंदन और प्राकृतिक फूलों के रंगों के से गुलाल बनाये जाते थे लेकिन अब रसायनिक तरीको से गुलाल बनाए जाते है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत हानिकारक होते है। ये रसायनिक रंग त्वचा या आँखों जैसी सूक्ष्म जगह के लिए बहुत हानिकारक होते है। इसके साथ लोग भांग – ठंड़ाई की जगह नशेबाजी करने लगे है। और लोक संगीत की जगह फल्मी गाने का प्रचलन होने लगा है। इसके अलावा पानी का दुरुपयोग की वजह से पानी जैसी बहुमूल्य संसाधन की बर्बादी होती है।
होलिका दहन क्यों मनाई जाती है?
होली के पर्व से कई कहानियाँ जुड़ी हैं। इनमें से एक कहानी प्रहलाद की हैं। प्राचीन काल मे हिरण्यकशिपु नाम का एक राक्षस था जो अत्यंत बलशाली था। इस वजह से वह अपने-आप को भगवान मानने लगा था। और अपने नगर में ईश्वर का नाम लेना भी सभी को सक्त रूप से मना कर रखा था। साथ ही साथ वह सभी को अपनी पूजा करने को कहता था।
लेकिन उसका स्वयं पुत्र उनकी बात नहीं मानता है वो भगवान विष्णु का बहुत उपासक था। बार – बार हिरण्यकश्यपु के मना करने के बाद भी प्रहलाद राम जपने से नहीं माना, तो क्रोधित होकर हरिण्यकश्यपु ने उसे सबक सिखाने की कोशिश की लेकिन हर बार उसे भगवान बचा लेते थे।
हिरण्यकश्यपु की बहन को यह वरदान प्राप्त था कि वो आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यकश्यपु के आदेश पर होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई। लेकिन होलिका भस्म हो गई पर पहलाई बच गया, इसलिए होली (Holi) के पहले दिन होलिका जलाई जाती है जिसका नाम हिरण्यकश्यपु की बहन से लिया गया है।
होली के दिन ध्यान रखने योग्य बातें (Things to keep in mind on the day of Holi)
- होली में केमिकल और कांच के बने रंगों के इस्तेमाल से बचें। यह बहुत नुकसानदायक हो सकता है।
- होली खेलने के लिए साफ और स्वच्छ पानी का ही इस्तेमाल करें।
- ध्यान रखें कि होली के रंग आंख कान और नाक के अंदर ना जाए।
- वाहन चलाते हुए व्यक्ति पर पानी के गुब्बारे ना फेंके। इससे एक्सीडेंट हो सकती है।
- छोटे बच्चों को होली खेलते समय उनकी सुरक्षा के बारे में जरूर बताएं।
- रंगों के लिए प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करें।
- इस दिन पानी का कम से कम उपयोग करें।