
किसी बड़े प्रशासक जैसे राष्ट्रपति, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जजों को पद से हटाने के लिए जिस प्रक्रिया का प्रयोग करते हैं उसे महाभियोग या Impeachment कहते हैं।
महाभियोग की प्रक्रिया का जिक्र भारत के संविधान में विस्तार पूर्वक वर्णित है। भारत के अलावा आयरलैंड, रूस, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में भी महाभियोग की को प्रक्रिया अपनाया गया है।
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भारतीय संविधान की महाभियोग प्रक्रिया (The impeachment process of the Indian Constitution.)
जैसा कि आप जानते हैं भारत का संविधान कई दूसरे देशों के संविधान से प्रेरित होकर बना है। अगर बात करने महाभियोग की तो महाभियोग की प्रक्रिया को भारत ने अमेरिका के संविधान से ग्रहित किया है। भारत के संविधान में इसका जिक्र अनुच्छेद 61, 124 (4),(5), 217 और 218 में पाया जाता है।
भारत की महाभियोग लगाने की प्रक्रिया (India’s impeachment process)
महाभियोग को सिर्फ कुछ शर्तों पर लगाया जा सकता है। राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों को हटाने की सिर्फ एक ही प्रक्रिया है महाभियोग। महाभियोग तभी लगाया जा सकता है जब उनसे संविधान का उल्लंघन, दुर्व्यवहार या उनकी अक्षमता साबित हो। नियमों के अनुसार महाभियोग का प्रस्ताव किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। लेकिन लोकसभा में पेश करने के लिए कम से कम 100 सदस्यों का हस्ताक्षर और राज्यसभा के लिए कम से कम 50 सदस्यों का हस्ताक्षर होना आवश्यक है।
हस्ताक्षर पुष्टि होने के बाद इस पत्र को उस सदन के अध्यक्ष या स्पीकर को सौंप दिया जाता है। स्पीकर या अध्यक्ष इस प्रस्ताव को खारिज भी कर सकती है। अगर प्रस्ताव उनके द्वारा स्वीकार कर लिया जाए तो उस सदन में लोकसभा या राज्यसभा 3 सदस्यों की एक समिति बनाती है। यह समिति जिन पर महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया जाता है उन पर लगाए गए आरोपों की जांच करती है।
इस समिति के 3 सदस्य स्पीकर या अध्यक्ष चुनती है। उनमें से एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और एक प्रख्यात व्यक्ति को शामिल किया जाता है जिन्हें स्पीकर या अध्यक्ष उचित समझें।
भारत में राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया (Procedure to impeach the President in India)
भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया क्या है? राष्ट्रपति को पद से समय से पहले सिर्फ महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति को महाभियोग के जरिये से हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 61 का इस्तेमाल किया जाता है। राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया किसी भी सदन में की जा सकती है। उस सदन के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों को लिखित रूप से पत्र पर लिखे उनके आरोपों के सहमति से हस्ताक्षर करना होगा। इसके बाद इस पत्र को राष्ट्रपति को सौंप दिया जाता है।
पत्र सौंपने के 14 दिन बाद उस सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। उसके बाद प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से दूसरे सदन में भेजा जाता है।
दूसरे सदन में आरोपों की जांच की जाती है। इस जांच के वक्त राष्ट्रपति अपना बचाव स्वयं या अपने वकील के जरिए कर सकते हैं।
दूसरे सदन में जांच के बाद अगर वहां से भी दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत मिल जाता है तो राष्ट्रपति को पद से हटना पड़ता है। भारत के इतिहास में अब तक किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग के माध्यम से हटाया नहीं गया है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को पद से हटाने की प्रक्रिया
मुख्य न्यायाधीश पर महाभियोग कैसे लगाया जाता है? भारत के संविधान में अनुच्छेद 124 (4) के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया अपनाई जाती है। राष्ट्रपति के तरह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को भी हटाने के लिए किसी भी सदन में प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। लोकसभा में प्रस्ताव पेश होने पर कम से कम 100 सदस्यों का हस्ताक्षर होना आवश्यक होता है। और वहीं राज्यसभा के लिए 50 सदस्यों का हस्ताक्षर होना आवश्यक है।
हस्ताक्षर होने के बाद प्रस्ताव पत्र को उस सदन (लोकसभा या राज्यसभा) के स्पीकर या अध्यक्ष को सौंप दिया जाता है। स्पीकर या अध्यक्ष इस प्रस्ताव का अध्ययन करने के बाद ही अपनी स्वीकृति देते हैं।
एक समिति का गठन किया जाता है। इस समिति में 3 सदस्य होते हैं। यह समिति आरोपों की जांच पड़ताल करती है। अगर आरोप साबित हो जाता है तो रिपोर्ट को दोनों सदनों में भेज देती है। इसके बाद दोनों सदनों में वोटिंग कराई जाती है अगर दोनों सदनों के दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत मिल जाता है तो इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के सामने पेश किया जाता है। राष्ट्रपति के आदेश पर ही जज़ को हटाया जा सकता है।
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उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया (Procedure for impeachment of High Court judges)
सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों को हटाने की प्रक्रिया समान होती है। इसका विवरण संविधान के अनुच्छेद 124 (4),(5), 217 और 218 में है।
अब तक किन-किन पर महाभियोग लाया जा चुका है (Who have been impeached so far in India)?
अब हम चर्चा करते हैं अब तक भारत में कब-कब और किन-किन पर महाभियोग लगाया जा चुका है। साथ में ये भी जानेंगे कि उन पर महाभियोग लगाये जाने के क्या कारण थे।
सुप्रीम कोर्ट के जज वी.रामास्वामी
महाभियोग का सामना करने वाले पहले इंसान सुप्रीम कोर्ट के जज वी.रामास्वामी है। उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव 1993 में लाया गया था। उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। लेकिन इस प्रस्ताव को लोकसभा का दो-तिहाई बहुमत न मिलने पर प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।
कोलकाता हाई कोर्ट की जज़ सौमित्र सेन
कोलकाता हाई कोर्ट की जज़ सौमित्र सेन पर 2011 में महाभियोग चलाया गया था। उन्हें अनुचित व्यवहार के कारण महाभियोग का सामना करना पड़ा। लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया पूर्ण होने से पहले ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
सिक्किम हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीडी दिनाकरन
सिक्किम हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीडी दिनाकरन पर 2015 में आय से अधिक धन अर्जित करने के आरोप से महाभियोग लाया गया था। लेकिन उन्होंने पहले ही अपना पद त्याग कर दिया।
गुजरात हाई कोर्ट के जज़ जे पी पर्दीवाला
2015 में गुजरात हाई कोर्ट के जज़ जे पी पर्दीवाला पर जाति से संबंधित अनुचित टिप्पणी की वजह से महाभियोग चलाया गया। महाभियोग का प्रस्ताव पेश होने के बाद उन्होंने अपने द्वारा दी गई टिप्पणी को वापस ले लिया। जिसके बाद महाभियोग ख़ारिज हो गया।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस एस.के. गंगेल
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस एस.के. गंगेल पर 2015 में महिला न्यायाधीश ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने के कारण उनपर महाभियोग लगाया गया था। लेकिन जांच में उन पर लगाए गए आरोप साबित नहीं हुए।
आंध्र प्रदेश/तेलंगाना हाई कोर्ट के जस्टिस सी.वी. नागार्जुन रेड्डी
आंध्र प्रदेश/तेलंगाना हाई कोर्ट के जस्टिस सी.वी. नागार्जुन रेड्डी के खिलाफ 2016 और 2017 में महाभियोग लाया गया था। उन पर अधीनस्थ अदालत के कामकाज और न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने और जूनियर दलित न्यायाधीश के खिलाफ जाति संबंधित टिप्पणी के लिए आरोप थे। लेकिन राज्यसभा में बहुमत न मिलने के कारण यह प्रस्ताव खारिज कर दिया गया।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा
2018 में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया था। उन पर अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करने का और न्यायिक मामलों का सही से जांच न करने का आरोप लगाया गया था। इस महाभियोग के प्रस्ताव को राज्य सभा के अध्यक्ष वेंकैया नायडू द्वारा खारिज कर दिया गया।
भारतीय संविधान की महाभियोग से सम्बंधित प्रश्न – उत्तर
संविधान में किस पर महाभियोग चलाने के लिए कोई प्रावधान नही है?
प्रधानमंत्री, उप-राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री
भारत के किस राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया जा चुका है?
भारत के इतिहास में अब तक किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग के माध्यम से हटाया नहीं गया है।
राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया से संबंधित कौन सा अनुच्छेद है?
राष्ट्रपति को महाभियोग के जरिये से हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 61 का इस्तेमाल किया जाता है।
राष्ट्रपति के महाभियोग में कौन भाग लेता है?
राष्ट्रपति के महाभियोग में दोनों सदनों के सदस्य भाग ले सकते हैं। लेकिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के महाभियोग में भाग नहीं लेते हैं, जबकि वे उनके चुनाव में भाग लेते हैं।
जज को कौन हटा सकता है?
राष्ट्रपति
भारत में सुप्रीम कोर्ट के जज को कौन हटा सकता है?
राष्ट्रपति
सुप्रीम कोर्ट के जज को कौन हटा सकता है?
राष्ट्रपति
राष्ट्रपति को उसके पद से कौन हटा सकता है?
राष्ट्रपति को सिर्फ महाभियोग के जरिये से हटाया जा सकता है। जिसमें संविधान के अनुच्छेद 61 का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में राष्ट्रपति को कैसे हटाया जा सकता है?
राष्ट्रपति को सिर्फ महाभियोग के जरिये से हटाया जा सकता है।
भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने से कितने दिन पहले प्रशिक्षक को उसे सूचित करना चाहिए?
14 दिन
भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर संसद के प्रत्येक सदन के कितने सदस्यों को हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है?
महाभियोग प्रस्ताव को दूसरे सदन में भेजने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। दूसरे सदन में आरोपों की जांच की जाती है। जांच के दौरान राष्ट्रपति अपना या अपने वकील के माध्यम से अपना बचाव कर सकते हैं। यदि दूसरे सदन के दो-तिहाई सदस्य सहमत हैं कि राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाना चाहिए, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाना चाहिए।
आर्टिकल 61 क्या है in Hindi?
संविधान के अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा पद से हटाया जाता है।