
अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज दिवस (International Nurses Day) प्रतिवर्ष 12 मई को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस को फ्लोरेंस नाइटिंगेल की याद में मनाया जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। फ्लोरेंस नाइटेंगल का जन्म 12 मई 1820 को इटली के फ्लोरेंस में हुआ था। उन्होंने अपना जीवन बीमार और रोगियों की सेवा करने में न्योछावर कर दिया। इसलिए यह दिन उनकी याद में मनाया जाता है।
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नर्स दिवस मनाने का महत्व और तरीका (Importance and way of celebrating Nurses Day)
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पूरे विश्व के अस्पतालों में जोरों शोरों से मनाया जाता है। इस दिन जगह-जगह समारोह का आयोजन किया जाता है। समारोह में नर्सों को समाज के प्रति सेवा और समर्पण के लिए सम्मान दिया जाता है। नर्सों को भेंट के रूप में चिकित्सा संबंधी सामग्री दी जाती है।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का महत्व रोगियों को अच्छे से समझ आ सकता है क्योंकि यह दिन नर्सों को समर्पित है और नर्स ही रोगियों की छोटी से छोटी जरूरतों का ख्याल रखती है। डॉक्टर रोगियों के दवाइयों का निर्धारण करते है लेकिन उन दवाइयों को सही समय पर रोगी को नर्स ही देती है ताकि मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाए। वास्तव में देखा जाए तो मरीज के उपाय उपचार की वास्तविक जिम्मेदारी नर्स पर होती है। नर्सिंग सेवा के अभाव में चिकित्सा सेवा खराब हो जाती है इसलिए कहा जा सकता है कि नर्सिंग सेवा चिकित्सा सेवा का एक अभिन्न अंग है।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल कौन थी? – Who was Florence Nightingale?
फ्लोरेंस नाइटिंगेल ब्रिटिश समाज सुधारक और एक नर्स थी। Florence Nightingale के पिता का नाम विलियम नाइटिंगेल और मां का नाम फेनी नाइटिंगेल था। वो बचपन में शारीरिक रूप से कमज़ोर थी। इस वजह से उनका बचपन बीमारियों में गुजरा। उन्होंने 1860 में लंदन के सेंट थॉमस अस्पताल में धर्मनिरपेक्ष नर्सिंग स्कूल की स्थापना की।
Florence Nightingale के बारे में कहा जाता है कि वो दिन भर मरीजों का ध्यान रखती फिर भी रात के समय अपने हाथों में लालटेन लेकर अस्पताल में घूमती और मरीजों की देख रेख करती रहती। इस वजह से आगे जाकर उनका नाम लेडी विथ द लैंप पड़ गया। फ्लोरेंस नाइटिंगेल की मृत्यु 13 अगस्त 1910 को हुई। Florence Nightingale को मॉडर्न नर्सिंग का संस्थापक भी कहा जाता है। इन्हें 1907 में ऑर्डर ऑफ़ मेरिट से भी सम्मानित किया जा चुका है।
नर्स दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई? – How did the celebration of International Nurses Day begin?
नर्स दिवस को मनाने का प्रस्ताव डोरोथी सदरलैंड ने की थी जो अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी थे। अमेरिका के राष्ट्रपति डी डी आइजनहावर के मंजूरी पर नर्स दिवस 1953 में पहली बार मनाया गया। लेकिन अंतरराष्ट्रीय रूप से नर्स दिवस 1965 को मनाया गया। फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म दिवस 12 मई को नर्स दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय 1974 में लिया गया फ्लोरेंस नाइटेंगल ने “नोट्स ऑन नर्सिंग” नाम की किताब लिखी जो नर्सिंग के क्षेत्र में विश्व की पहली किताब है।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2021 थीम (International Nurses Day 2021 Theme)
नर्स: एक आवाज़ नेतृत्व का – भविष्य के स्वास्थ्य के लिए दृष्टि (Nurses:A Voice to lead- A Vision for future Healthcare)
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2022 थीम (International Nurses Day 2022 Theme)
नर्स: एक आवाज़ नेतृत्व का – नर्सिंग में निवेश करें और वैश्विक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के अधिकारों का सम्मान करें(Nurses: A voice to lead- Invest in nursing and respect rights to secure global health)
फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार क्या है?
नर्सों के समर्पण और सेवा की भावना को देखकर भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार की शुरुआत की गई। यह पुरस्कार हर साल 12 मई को कर्मठ नर्स को दी जाती है। इस पुरस्कार के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा ₹50000 की नगद राशि, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल प्रदान किया जाता है।
FAQ – नर्सेस डे प्रश्न और उत्तर
12 मई
फ्लोरेंस नाइटिंगेल
फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। उन्होंने अपना जीवन बीमार रोगियों की सेवा करने में न्योछावर कर दिया। इसलिए यह दिन उनकी याद में उनके सम्मान में मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस
फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने 1860 में लंदन के सेंट थॉमस अस्पताल में धर्मनिरपेक्ष नर्सिंग स्कूल की स्थापना की।
“नोट्स ऑन नर्सिग” नामक पुस्तक
13 अगस्त 1910
फ्लोरेंस नाइटिंगेल को मॉडर्न नर्सिंग का संस्थापक कहा जाता है।
12 मई 1820
इटली के फ्लोरेंस में
फ्लोरेंस नाइटिंगेल
फ्लोरेंस नाइटिंगेल के बारे में कहा जाता है कि वो दिन भर मरीजों का ध्यान रखने के बावजूद रात के समय भी अपने हाथों में लालटेन लेकर अस्पताल में घूमती और मरीजों की देख-रेख करती रहती। इस वजह से आगे जाकर उनका नाम “लेडी विथ द लैंप” पड़ गया।
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