
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे। हम उन्हें गांधीजी और बापू के नाम से भी संबोधित करते हैं। महात्मा गांधी एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही मन में सम्मान, अहिंसा और प्रेम का भाव आता है। सुभाष चंद्र बोस ने गाँधी जी को देश का पिता “राष्ट्रपिता” से सम्बोधित किया है।
गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनकी माता का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था।
गांधीजी का विवाह कम उम्र में ही कर दिया गया था। शादी के समय उनकी उम्र 13 साल थी, यानी 1883 में गांधी जी का विवाह कस्तूरवा गांधी से हुआ था।
महात्मा गांधी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई राजकोट के हाई स्कूल से पूरी की और 1888 में कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और 1891 में कानून की डिग्री हासिल की। जब उन्हें वकील की डिग्री मिली तो वे वकील के तौर पर दक्षिण अफ्रीका गए और वहां रहने वाले भारतीयों की मदद की और 1915 में वे भारत लौट आए।
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गांधी की राजनीतिक शुरुआत और विचार
गांधी जी ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय राजनीति में किया था। गांधीजी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। महात्मा गांधी ने बिहार के चंपारण में संघर्ष की शुरुआत की, जो उनकी पहली बड़ी उपलब्धि थी।
महात्मा गांधी के आंदोलन (Mahatma Gandhi Movements)
देश की आजादी के लिए बापू द्वारा लड़े गए प्रमुख आंदोलन, जिससे हमें आजादी दिलाने में काफी मदद मिली।
चंपारण सत्याग्रह (1917)
चंपारण बिहार में स्थित जगह है जो अब दो जिलों में विभाजित हो गया है। इस आंदोलन की शुरुवात उसी जगह से हुई थी। इस आंदोलन का नेतृत्वा गाँधी जी ने की थी।
1917 में शुरू हुआ यह आंदोलन अंग्रेज़ो के खिलाफ और किसानों की सहायता के लिए शुरू किया गया था। 1915 में जब महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे उस समय भारत की स्थिति बहुत दयनीय थी। अंग्रेज़ किसानों को उनकी उपजाऊ भूमि पर नील की खेती या अन्य नकदी फसल उगाने को मजबूर करते थे लगातार नील की खेती एक ही जगह पर करने की वजह से मिट्टी की उर्वरता ख़त्म हो जाती है। और जमीन बंजर बन जाती है। किसानों को उनके द्वारा उगाये गए आनाज को बहुत काम कीमत पर बेचने के लिए उन्हें बँबूर किया जाता था। इस कारण किसानों की स्थिति अधिक दयनीय हो गयी थी।
इस स्थिति के बारे में सुनकर महात्मा गाँधी ने तुरंत अप्रैल 1917 में चंपारण जिले का दौरा करने का निर्णय लिया। वहाँ उन्होंने अंग्रेज़ जमींदारों के खिलाफ हड़ताल किया और उन्हें समझौता करने पर मजबूर कर दिया। जिसके परिणामस्वरुप किसानों को नियंत्रण और क्षतिपूर्ति प्रदान की गयी और साथ ही साथ राजस्व की वृद्धि को रद्द कर दिया गया।
इस आंदोलन की सफलता के परिणामस्वरूप ही गाँधी जी (Mahatma Gandhi) को रविंद्रनाथ टैगोर ने “महात्मा” की उपाधि दी।
खेड़ा सत्याग्रह में Mahatma Gandhi का सहयोग (1918)
खेड़ा आंदोलन गुजरात में स्थित खेड़ा जिले से सम्बंधित है। 1918 में खेड़ा गांव बाढ़ के कारण भीषण प्रभावित हो चुका था। इस बाढ़ के कारण किसानों की सभी फसलें नष्ट हो चुकी थी। परिणामस्वरूप किसान अंग्रेज़ो के कर को देने के योग्य नहीं थे। इसलिए उन्होंने अंग्रेज़ सरकार को कर काम करने का अनुरोध किया लेकिन इस अनुरोध को उन्होंने ठुकरा दिया। जिसके बाद गाँधी जी और वलभभाई पटेल ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने किसानों के साथ मिलकर अंग्रेज़ सरकार के खिलाफ एक क्रूसयुद्ध की शुरुआत की गयी और वचन लिया गया की हम कर नहीं देंगे। इसके विरोध में अंग्रेज़ो ने किसानों को उनकी भूमि जब्त करने की धमकी दी। पांच महीने लगातार संघर्ष के बाद मई 1918 को अंग्रेज़ सरकार ने उनकी बात मान ली और जब तक जल – प्रलय समाप्त नहीं हुआ तब तक गरीब किसानो से कर वसूली नहीं की और उनकी जब्त संपत्ति को भी वापस कर दिया गया।
खिलाफत आंदोलन में Mahatma Gandhi का सहयोग (1919 – 1924)
तुर्क साम्राज्य के मुसलमानो के लिए यह आंदोलन 1919 में शुरू की गई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तुर्की ने अंग्रेज़ के खिलाफ जर्मनी और ऑस्ट्रिया की मदद की थी। जबकि भारतीय मुसलमानो ने अंग्रेज़ सरकार का समर्थन किया इस विश्वास से की वो तुर्क साम्राज्य के पवित्र स्थान खलीफा को सुरक्षित रखेंगे लेकिन उन्होंने खलीफा के पद को हटा दिया। जिसे मुसलमानो ने खलीफा का अपमान माना। जिसके फलस्वरूप अली भाइयो, शौक़त अली और मोहम्मद अली ने गाँधी जी के साथ मिलकर ख़िलाफ़त आंदोलन शुरू कर दिया गया। महात्मा गाँधी ने इस आंदोलन समर्थन करने हेतु अखिल भारतीय मुस्लिम सम्मलेन में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा दिए गए पदकों को लौटा दिया।
असहयोग आंदोलन (1920 – 1922)
1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन का आगाज़ किया गया था। यह आंदोलन जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में किया गया था। इस आंदोलन सहयोग करने वालों ने महात्मा गाँधी के साथ मिलकर अंग्रेज़ो द्वारा संचालित संस्थानों जैसे – स्कूलों, कॉलेजो और सरकारी कार्यालयों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। मजदूरों ने कारखानों में काम करने से इंकार कर दिया। गाँधी जी अहिंसा और शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व करना चाहते थे। लेकिन 4 फ़रवरी 1922 में चौरी चौरा की घटना के कारन इस आंदोलन को महात्मा गाँधी नजबुरन स्थगित कर दिया गया। जिसमे 23 पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी गयी थी।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942 – 1947)
यह आंदोलन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गाँधी जी (Mahatma Gandhi) द्वारा शुरू किया गया। जिसमे भारतीय कांग्रेस समिति ने गाँधी जी का साथ दिया और अंग्रेज़ो को भारत छोड़ने पर मजबूर करने लगे। इसके बाद अंग्रेज़ो ने बदला लेने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभी सदस्यों को बिना जाँच किये गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। जिसके एक क्रांति की लहर उठ गई। अंग्रेज़ो ने तरकीब निकली लेकिन हर बार उन्हें निराश होना पड़ा। आख़िरकार यह आंदोलन समाप्त हुआ और साथ ही साथ अंग्रेज़ो को भारत छोड़ के जाना पड़ा।
FAQ – Mahatma Gandhi
2 अक्टूबर 1869
करमचंद गांधी
Raj Ghat
इंग्लैंड
मोहन
आजादी के समय धोती को सबसे ज्यादा इसे पहने देखा गया था।
गांधीजी और कस्तूरबा के चार पुत्र थे, जिनके नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास हैं।
Porbandar (पोरबन्दर)
वैष्णव जन तो तेने कहिए
13 वर्ष