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दुनिया में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अपनी खास पहचान हमेशा के लिए छोड़ जाते हैं ऐसे ही गिने चुने लोगों में नेल्सन मंडेला का नाम आता है। 18 जुलाई को देश दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस मनाया जाता है। नेल्सन मंडेला अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति थे। मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया और 27 साल जेल में बिताये। मंडेला के जन्मदिवस को याद करते हुए हर साल 18 जुलाई को मंडेला दिवस मनाया जाता है।
नेल्सन मंडेला को शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार भी मिला है। मंडेला के जन्मदिवस को मंडेला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय 2009 में लिया गया। पहली बार नेल्सन मंडेला दिवस 18 जुलाई 2010 को मनाया गया।
इस लेख के जरिए आज हम नेल्सन मंडेला का इतिहास, संघर्ष, उपलब्धियां और जीवन परिचय के बारे में जानेंगे।
Table of Contents
नेल्सन मंडेला का बचपन और पारिवारिक जीवन (Childhood and Family life of Nelson Mandela)
नेल्सन मंडेला का पूरा नाम नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला है। उन्हें प्यार से सभी मदीबा बुलाया करते थे। नेल्सन मंडेला का जन्म म्वेजो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ्रीका में 18 जुलाई 1918 में हुआ था। नेल्सन मंडेला की माँ का नाम नोंकाफी नोसैकेनि था। नेल्सन मंडेला के पिता का नाम गदला हेनरी मफाकन्यीसवा था। 1930 में उनके पिता का निधन हो गया था। उस समय उनकी आयु 12 वर्ष थी। उनकी मां उनके पिता की तीसरी पत्नी थी। नेल्सन मंडेला अपनी माता की पहली संतान थे। पिता के 13 संतानों में उनका स्थान तीसरा था। नेल्सन मंडेला के कुल 12 भाई थे। नेल्सन मंडेला को बॉक्सिंग का शौक था।
Nelson Mandela (नेल्सन मंडेला) के पिता हेनरी मवेजो कस्बे के जनजातीय सरदार हुआ करते थे। उस समय उस स्थान में सरदार के बेटे को मंडेला कहा जाता था। इस तरह मंडेला का उपनाम मंडेला पड़ गया। मंडेला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल की। उसके बाद की शिक्षा के लिए वे मेथोडिस्ट मिशनरी गए।
अपने जीवन काल में नेल्सन मंडेला ने तीन शादियां रचाई। इनसे इन्हें 6 संतान प्राप्त हुई। नेल्सन मंडेला के पहली पत्नी का नाम इवलिन मेस था। नेल्सन मंडेला के दूसरी पत्नी का नाम नोमजामो विनी मेडीकिजाला था। उन्होंने तीसरी शादी 80 वर्ष की आयु में ग्रेस मेकल से की। कुल मिलकर नेल्सन मंडेला के परिवार में 17 पोते-पोतियां थीं।
नेल्सन मंडेला पुरस्कार और सम्मान (Nelson Mandela Awards and Honors)
नेल्सन मंडेला को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। जैसे भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी है। वैसे ही दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपिता के रूप में नेल्सन मंडेला जाने जाते हैं। जोहान्सबर्ग में सेंट्रल स्क्वेयर शॉपिंग सेंटर में 2004 में नेल्सन मंडेला की मूर्ति को स्थापित किया गया। इस सेंटर का नाम बदलकर मंडेला स्क्वायर रख दिया गया।
मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद संघर्ष में अपना योगदान दिया था। इस कार्य के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा उनके जन्मदिन को यानि 18 जुलाई को “मंडेला दिवस” मनाने की घोषणा की। नेल्सन मंडेला को 250 से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 1933 में नेल्सन मंडेला को नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ। यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रेडरिक विलेन डी क्लार्क के साथ उन्हें संयुक्त रूप से मिला था। 2008 में नेल्सन मंडेला को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा नेलसन मंडेला को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से भी नवाजा जा चुका है। भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किए जा चुके हैं नेलसन मंडेला। उन्हें ऑर्डर ऑफ़ लेनिन और प्रेसिडेंट मैडम से भी सम्मानित किया गया।
1992 में नेल्सन मंडेला के जीवन पर एक बायोपिक “Malcolm X (मैल्कम एक्स)” बनाई गई। इसमें उन्हें एक शिक्षक की भूमिका में दिखाया गया है। इस फिल्म के निर्देशक स्पाइस ली है।
नेल्सन मंडेला पुरस्कार की शुरुआत
नेल्सन मंडेला पुरस्कार की शुरुआत कैसे हुई? नेल्सन मंडेला के सम्मान में 2014 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा द्वारा नेल्सन मंडेला नामक पुरस्कार की शुरुआत करने की घोषणा की गई। यह पुरस्कार हर 5 साल में उन लोगों को प्रदान किया जाता है जो अपना जीवन मानवता के प्रति समर्पित कर देते हैं।
Books of Nelson Mandela (नेल्सन मंडेला की किताबें)
- Long Walk to Freedom
- Conversations with myself
- The prison letters of Nelson Mandela
- No easy Walk to Freedom
- The struggle in my life
नेल्सन मंडेला के जीवन संघर्ष के बारे में (About the life struggle of Nelson Mandela)
1941 में नेल्सन मंडेला जोहान्सबर्ग चले गए। वहां उनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। इनकी वजह से नेल्सन मंडेला राजनीति से बहुत प्रभावित हुए। जोहान्सबर्ग में नेल्सन मंडेला एक कानूनी फर्म में क्लर्क का काम करते थे। रंग के आधार पर हो रहे भेदभाव को वो दूर करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपना कदम राजनीति की दुनिया में रखा। 1943 में उन्होंने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (ANC) में हिस्सा लिया। उन्होंने वाटर शिशुलू और वाटर इस टाइम के साथ मिलकर अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग का गठन किया।
1947 में नेल्सन मंडेला इस संगठन के सचिव और 1951 में अध्यक्ष चुने गए। नेल्सन मंडेला और उनके साथी मिलकर रंगभेद के विरुद्ध आवाज उठाने लगी। इसके कारण उन्हें जोहान्सबर्ग से निकाल दिया गया। लेकिन उनका आंदोलन नहीं रुका। वो धीरे धीरे अश्वेत क्रांति को बढ़ावा दे रहे थे। इस आंदोलन के खिलाफ सरकार ने 1956 में मंडेला सहित उनके 155 साथियों को पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया। 1961 में मंडेला और उनके 29 साथियों को निर्दोष घोषित करके छोड़ दिया गया।
नेल्सन मंडेला को आजीवन कारावास की सजा
फिर भी नेल्सन मंडेला ने अपनी क्रांति को रुकने नहीं दिया। उन्होंने फिर से लोगों को इकट्ठा करके “स्पियर ऑफ़ द नेशन” नामक दल बनाया। मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने के आरोप में सरकार नेल्सन मंडेला की तलाश करने लगी। इससे बचने के लिए नेल्सन मंडेला देश से बाहर चले गए। कुछ समय बाद वापस आने पर 5 अगस्त 1962 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर बिना अनुमति देश छोड़ने और मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने का आरोप लगाया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। सज़ा के लिए उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया। जेल में रहने के बावजूद उन्होंने अश्वेत क्रांति को रुकने नहीं दिया। जेल में अश्वेत कैदियों को उन्होंने इकट्ठा करने करना शुरू कर दिया।
15 अगस्त 1993 डब्ल्यू क्लार्क को दक्षिण अफ्रीका का नया प्रेसिडेंट चुना गया। उन्होंने अश्वेत समुदाय पर लगे प्रतिबंध को मुक्त कर दिया। पहले से सजा काट रहे नेल्सन मंडेला के साथियों को आजाद कर दिया गया। 11 फरवरी 1990 को नेलसन मंडेला को रिहाई मिली। जेल में उन्होंने 27 वर्ष बिताये। अंततः नेल्सन मंडेला का संघर्ष पूरा हुआ। इस तरह दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत प्रथा का अंत हुआ। रिहाई के बाद समझौते और शांति की नीति के आधार पर लोकतांत्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी गयी।
नेल्सन मंडेला राष्ट्रपति के रूप में
1994 में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद रहित राष्ट्रपति का चुनाव हुआ। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस की बहुमत की सरकार बनी। इस तरह 10 मई 1994 में नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। 18 जुलाई को शांति और सुलह को प्रोत्साहन देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को 67 मिनट मंडेला दिन के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि नेलसन मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ अपने जीवन के 67 साल तक संघर्ष किया। इसलिए इस दिन लोगों को 67 मिनट तक देश के लिए कुछ अच्छा काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
दक्षिण अफ्रीका में 46664 नंबर बहुत प्रचलित है। यह नंबर नेल्सन मंडेला को एक कैदी के रूप में दिया गया था। 2002 में 46664 नामक एक संगठन बनाया गया जिसका उद्देश्य युवाओं को AIDS और HIV के लिए जागरूक करना है।
नेल्सन मंडेला की मृत्यु कब हुई?
नेल्सन मंडेला की मृत्यु 95 वर्ष की आयु में 5 दिसंबर 2013 को हुई थी। उनकी मृत्यु का कारण उनके फेफड़ों में संक्रमण था। उनकी मृत्यु जोहान्सबर्ग के घर मंडेला की हॉटन में हुई।
FAQs about the life and struggle of Nelson Mandela
27 साल
Long Walk to Freedom
6
18 जुलाई 1918
सज़ा के लिये उन्हें रोबिन दीप की जेल में रखा गया था।
म्वेजो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ्रीका में
11 फरवरी 1990 को
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Reference(s):
https://en.wikipedia.org/wiki/…