
Ramayana Uttar Kand में राजा राम का राजसुख, सीता जी का त्याग और लव कुश का प्रारंभिक जीवन जैसी घटना का विवरण किया गया है। उत्तर कांड रामायण महाकाव्य का अंतिम भाग है। इस कांड में 3432 श्लोक सम्मिलित है। यह कांड राम कथा का उपसंहार है। इसके अलावा इस कांड में प्रभु श्रीराम के महान लक्षणों का विवरण मिलता है। उत्तर कांड का पाठ सुखमय जीवन और सुखद यात्रा के लिए किया जाता है।
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माता सीता का त्याग और लव-कुश का जन्म (Mata Sita’s sacrifice and Luv-Kush’s birth – Ramayana Uttar Kand)
वनवास के बाद वापस अयोध्या आने पर राम का राज्याभिषेक होता है और वे राजा बन जाते हैं। महल में राजा राम और माता सीता का जीवन सुखद रूप से व्यतीत हो रहा था। कुछ समय बाद माता सीता गर्भवती हो जाती है। लेकिन अयोध्यावासी माता सीता के प्रति संदेह की नज़र से देखती थी। क्योंकि उस दौरान माता सीता के अपहरण और उनके लंका में समय व्यतीत करने की ख़बर चारों ओर आग की तरह फैल रही थी। उस समय अगर कोई पत्नी अपने पति से दूर अनजान जगह रह कर आई हो तो उसे उसका पति स्वीकार नहीं कर करता था। इस कारण राजा राम पर अयोध्या वासियों के सवाल खड़े हो रहे थे। अयोध्यावासी अपने सामने माता सीता की अग्नि परीक्षा चाहते थे। लेकिन माता सीता प्रभु श्रीराम पर सवाल उठते नहीं देख पा रही थी। इसलिए स्वयं ही अयोध्या छोड़ कर चली गई।
महर्षि वाल्मीकि ने माता-सीता को अपने आश्रम में आश्रय दिया। कुछ समय बाद आश्रम में माता सीता ने जुड़वा पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम लव और कुश रखा जाता है। उसका लालन-पालन आश्रम में होता है और वे महर्षि वाल्मीकि से शिक्षा ग्रहण करते हैं।
राम ने अश्वमेध यज्ञ क्यों किया? (Why did Rama perform the Ashwamedha Yagya?)
दरअसल राजा राम पर ब्रह्म हत्या का पाप था क्योंकि उन्होंने रावण का वध किया था। रावण पुलत्स्य ऋषि का पौत्र और ऋषि विश्रवा का पुत्र था। वैसे तो रावण की माता राक्षस कुल की थी लेकिन पिता के ब्राह्मण होने के कारण रावण भी एक ब्राह्मण था। राजा राम पर ब्रह्म हत्या का पाप था। इसी वजह से कंबोधर नामक ऋषि ने भी राम से अन्न लेने से मना कर दिया था। इस पाप से मुक्त होने के लिए ही राजा राम ने अश्वमेध यज्ञ कराने का निर्णय लिया।
धरती पुत्री माता सीता का धरती में समाना – Mother Sita’s face in the Earth
महर्षि वाल्मीकि के महाकाव्य रामायण की रचना की। लव और कुश को रामायण का ज्ञान दिया। लव-कुश नगर नगर जाते और राम कथा गाकर सुनाते। इस तरह लव-कुश को राजा राम के समक्ष रामायण सुनाने का मौका मिला। लव-कुश ने मधुर आवाज में गाना शुरू किया। माता सीता का त्याग और वनवास की बात सुनकर राम बहुत दुखी हो जाते है। तभी वहाँ माता-पिता आती है और राजा राम को उनके पुत्र लव-कुश के बारे में बताती है।
माता सीता को वापस अयोध्या आने से पहले फिर से अयोध्यावासी माता सीता से अपनी पवित्रता का प्रमाण माँगती हैं। अपनी पवित्रता का प्रमाण दे देकर माता सीता थक जाती है। इसलिए इस बार वह धरती माँ को पुकारती है और उसकी गोद में समा जाती है।
कुछ समय बाद राम अवतार का प्रयोजन खत्म हो जाने पर श्रीराम महाप्रयाण के लिए सरयू नदी में जाकर राम रूप का त्याग करके विष्णु रूप में आकाश की ओर चले जाते है।
इस तरह रामकथा का अंत होता है।
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