
सावन का नाम सुनकर ही हमारे मन में हरियाली सा प्रतिबिंब बनने लगता है। सावन का महीना (Sawan ka Mahina) मतलब बारिश की बौछार का समय। यह मौसम इतना सुहाना होता है कि हर तरफ सजे सुंदर दृश्य नज़र आते है। नदियाँ समुन्द्र अपने पूरे उफान पर होती है। इसी महीने भगवान इंद्र अपना सर्वाधिक विशाल स्वरूप सृष्टि के समक्ष पेश करते है। श्रावण महीने का इंतज़ार लोगों के साथ साथ पशु – पक्षी, पेड़ -पौधे सभी को बड़ी बेसब्री से होता है। जब बारिश होती है तो मोर मोरनी को रिझाने के लिए पंख फैलाकर झूमते – नाचते है, पूरा वातावरण स्वच्छ हो जाता है। सावन के महीने में कभी बारिश कभी धूप का सिलसिला बना रहता है इसलिए पूरा वातावरण शुद्ध और स्वच्छ हो जाता है। इस महीने में पेड़ – पौधे, पशु – पक्षी, इंसान सभी का मन प्रसन्न रहता है।
नमस्कार दोस्त, आज हम बात करेंगे कि श्रावण के महीने को भगवान शिव का महीना क्यों कहा जाता है, श्रावण के महीने में शिव को जल क्यों चढ़ाना चाहिए, श्रावण को भगवान शिव का महीना क्यों कहा जाता है, श्रावण में भक्त जन कांवड़ यात्रा क्यों करते हैं?
Table of Contents
सावन के महीने को शिव का महीना क्यों कहा जाता है? (Why is the Sawan ka Mahina called the month of lord Shiva?)
सावन के महीने (Sawan ka Mahina) को शिव और पार्वती के मिलन का महीना कहा जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि सावन के महीने में ही भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे जहाँ उनका स्वागत भव्य तरीके से किया गया और अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। ऐसा भी माना जाता है हर वर्ष सावन के महीने में भगवान शिव अपने ससुराल घूमने आते है।
सावन में शिव को जल क्यों चढ़ाया जाता है ? (Why is water offered to Shiva in Sawan ka Mahina?)
समुद्र मंथन के बारे में आपने तो सुना ही होगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन देवताओं और दानवों के बीच में हुआ था इस मंथन में अच्छी और बुरी चीजें भी थी। बुरी चीजों में एक हलाहल नाम का विष था जिसका प्रभाव इतना अधिक था कि समस्त विश्व का विनाश हो जाता और किसी में इतनी शक्ति नहीं थी कि विष के प्रभाव को कम या रोक सके तब देवों के देव महादेव ने विश्व की शांति और रक्षा के लिए उसको अपने कंठ में समाहित कर लिया। इस कारण भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया और शिव नीलकंठ के नाम से भी कहलाने लगे।
इसके प्रभाव से भगवान शिव का शरीर गर्म हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण जलने लगा। बेलपत्र के सेवन से विष का प्रभाव कम हो जाता है इसलिए सभी देवी देवता भगवान शिव को बेलपत्र खिलाने लगे। साथ ही शिव को जल अर्पित करने लगे ताकि उनका शरीर शीतल हो सके। बेलपत्र और जल के प्रभाव से शिवजी का शरीर की गर्मी शांत हो जाती है इसलिए भगवान शिव को खासकर सावन के महीने में बेलपत्र और जल अर्पित करने की प्रथा चलने लगी।
सोमवार का सावन में महत्व (Significance of Monday in Sawan)
सावन में सोमवार का क्या महत्व है? सावन में सोमवार के दिन शिव की पूजा अर्चना करने का अधिक महत्व है। कुछ लोग सोमवार के दिन शिव की उपासना करने के लिए व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को सोमेश्वर व्रत भी कहते हैं जिसका अर्थ होता है सोम के ईश्वर यानि चंद्रमा के ईश्वर जो भगवान शिव है। पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्र देव को क्षय रोग था। इस बीमारी से मुक्ति के लिए उन्होंने सोमवार के दिन ही शिव की आराधना कर उन्हें खुश किया जिससे उन्हें रोग से मुक्ति मिल गई। तब से सोमवार का दिन शिव की पूजा – अर्चना का दिन माना जाने लगा।
माता पार्वती ने भी भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 16 सोमवार का व्रत और सावन में कठिन तपस्या भी की जिससे भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें एक वरदान मांगने को कहा। माता पार्वती ने अपने वर में भगवान शिव को अपने पति के रूप में मांगा और शिव उन्हें मना नहीं कर पाए।
सावन में कांवड़ यात्रा की शुरुआत (Kanwar Yatra begins in Sawan)
सावन में कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई? पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन में हलाहल विष को शिव के धारण करने से जो नकारात्मक प्रभाव पड़ा था उन्हें कम करने के लिए शिव जी के परम भक्त रावण ने कांवड़ से जल भरकर “पुरा महादेव” स्थित शिव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया था जिससे शिवजी का नकारात्मक प्रभाव मुक्त हो गया तभी से कावड़ यात्रा की परंपरा चल पड़ी।
श्रावण मास 2022 कब से लग रहा है और कब से कब तक चलेगा?
2022 में Sawan ka Mahina 14 जुलाई से शुरू होकर 1 अगस्त तक चलेगा। In the year 2022, the month of Shravan will start from 14th July and will continue till 12th August.
Sawan mahina 2022 Start Date in India : 14 July 2022 (Thursday)
Sawan 2022 end date: 12 August 2022 (Friday)
श्रावण मास का पहला दिन (First day of Shravan month) | 14 जुलाई 2022 (गुरुवार) |
सावन सोमवार व्रत (Sawan Somwar Vrat) | 18 जुलाई 2022 (सोमवार) |
सावन सोमवार व्रत (Sawan Somwar Vrat) | 25 जुलाई 2022 (सोमवार) |
सावन सोमवार व्रत (Sawan Somwar Vrat) | 01 अगस्त 2022 (सोमवार) |
सावन सोमवार व्रत (Sawan Somwar Vrat) | 08 अगस्त 2022 (सोमवार) |
श्रावण मास का अंतिम दिन (Last day of Shravan month) | 12 अगस्त 2022 (शुक्रवार) |
FAQ
2022 में सावन कब शुरू है और कब खत्म है?
2022 में सावन 14 जुलाई 2022 (गुरुवार) को शुरू है और 12 अगस्त 2022 (शुक्रवार) को खत्म है?
सावन (festival in Shravan / Sawan) के विशेष त्योहार क्या हैं?
सावन सोमवार, हरियाली तीज, नाग पंचमी, श्रावणी मेला, कजरी तीज, रक्षाबंधन आदि। (Sawan Monday, Hariyali Teej, Nag Panchami, Shravani Mela, Kajari Teej, Rakshabandhan etc.)
2022 में सावन का पहला सोमवार कब है?
18 जुलाई 2022
When will Sawan Start in 2022?
14 July 2022 (Thursday)